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शुक्रवार, 4 जून 2010

मुझे चूमो

और फूल बना दो
मुझे चूमो
और फल बना दो
मुझे चूमो
और बीज बना दो
मुझे चूमो
और वृक्ष बना दो
फिर मेरी छांह में बैठ, रोम-रोम जुड़ाओ।

मुझे चूमो
हिमगिरि बना दो
मुझे चूमो
उद्गम सरोवर बना दो

मुझे चूमो
नदी बना दो
मुझे चूमो
सागर बना दो
फिर मेरे तट पर धूप में निर्वसन नहाओ।

मुझे चूमो
शीतल पवन बना दो
मुझे चूमो
दमकता सूर्य बना दो
फिर मेरे अनन्त नील को
इन्द्रधनुष-सा लपेट कर मुझे में विलय हो जाओ।

            सर्वेश्वरदयाल सक्सेना-

2 टिप्‍पणियां:

  1. अंजली जी,

    आरजू चाँद सी निखर, जिन्‍दगी रौशनी से भर जाए,
    बारिशें हो वहाँ वे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नजर जाए।
    जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    ------
    ओझा उवाच: यानी जिंदगी की बात...।
    नाइट शिफ्ट की कीमत..

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