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मंगलवार, 18 मई 2010

चारों ओर तबाही है

जैसी नेतागिरी है जी वैसी अफसरशाही है
सिर्फ झूठ की पैठ सदन में सच के लिए मनाही है
चारों ओर तबाही भइया
चारों ओर तबाही है.
 
संविधान की ऐसी-तैसी करने वाला नायक है
बलात्कार, अपहरण, डकैती सबमें दक्ष विधायक है
चोर वहां का राजा है
सहयोगी जहां सिपाही है.
चारों ओर तबाही है.

जो कपास की खेती करता उसके पास लंगोटी है
उतना महंगा ज़हर नहीं है जितनी महंगी रोटी है
लाखों टन सड़ता अनाज है
किसकी लापरवाही है.
चारों ओर तबाही है.

पैरों की जूती है जनता, जनता की परवाह नहीं
जनता भी क्या करे बिचारी, उसके आगे राह नहीं
बेटा है बेकार पड़ा
बिटिया अनब्याही है.
चारों ओर तबाही है.

जैसी होती है तैय्यारी वैसी ही तैय्यारी है
तैय्यारी से लगता है जल्दी चुनाव की बारी है
संतों में मुल्लाओं में
भक्तों की आवा-जाही है.
चारों ओर तबाही भइया
चारों ओर तबाही है.

कैलाश गौतम

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